हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ... हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ...
यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने
मेरी ज़िन्दगी में हर दिन गहरा रहा है वो कैसे मैं भूल जाऊं कभी मेरा रहा है वो मेरी ज़िन्दगी में हर दिन गहरा रहा है वो कैसे मैं भूल जाऊं कभी मेरा रहा है वो
जाने क्यों.... जाने क्यों....
और फिर... और फिर...
बीतें हुए पल फिर से जीना चाहते है?स्कूल लाइफ फिर जीना चाहते है?आइये जियें फिर से. बीतें हुए पल फिर से जीना चाहते है?स्कूल लाइफ फिर जीना चाहते है?आइये जियें फिर से...